क्या आपको दूसरों की प्रशंसा मिली है?

किसी ने आपको हाल ही में दोषी ठहराया जिसने आपकी भावनाओं को भी आहत किया?

प्रशंसा और दोष सभी समान हैं अपने आप को याद दिलाने का एक और तरीका है कि आप कभी भी सभी लोगों को खुश नहीं कर पाएंगे।

जीवन के सबसे अपरिहार्य पाठों में से एक दूसरों के अस्वीकृति से निपटने के लिए है।

हम जो भी मिलते हैं उनके जीवन के अपने विचार होते हैं और हमारा विचार हमेशा अन्य लोगों से मेल नहीं खाता है।

जब हम लोग हमारे विचारों को अस्वीकार कर देते हैं, तो हमें क्रोधित, आहत या अन्यथा हताश हो जाते हैं, हमें कोई बताएं या हमें किसी और तरह की अस्वीकृति दें।

इससे बाहर निकलने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि हम सभी से मिलने वाले अनुमोदन को जीतने में सक्षम नहीं होने की अपरिहार्य दुविधा को स्वीकार करें,  हमारा जीवन आसान बन जाएगा।

जब आप लोगों को समय देते है और आपके विचार स्पष्ट कर देते है तब ये अस्वीकृति कम हो सकती है !

जीवन में लोगों या स्थितियों को जैसे वे हैं, वैसे ही स्वीकार करें जैसे कि ‘ये ऐसे ही है, ऐसे ही होगा’।

स्वीकार करें, संतुष्ट रहें और एक खुशहाल जीवन जिएं…

About The Author

Contact Akhil